Parmarth Vidya Temple Annual Festival Program

December 23, 2023

Pujya Swamiji, Sadhvi Bhagawatiji, our wonderful sevaks, Rishikumars and students and beloved guests from around the world joined together for the annual Parmarth Vidya Mandir celebration that, this year, took place on the day of Gita Jayanti, the day that the divine music of the Shrimad Bhagwat Gita was spoken from the holy mouth of Lord Shri Krishnaji.

It was a delight to distribute Outstanding Teacher Awards to our beloved team, and to bestow prizes on the students that excelled in their studies. We also encouraged the students to celebrate every holy and holiday as a green festival by planting saplings as a gift to Mother Earth and ourselves!


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी और विश्व के कई देशों से आये अतिथियों ने परमार्थ विद्या मन्दिर वार्षिकवोत्सव कार्यक्रम में सहभाग कर शिक्षा के साथ विद्या, संस्कृति व संस्कार, अध्यात्म व विज्ञान के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया।

परमार्थ विद्या मन्दिर, परमार्थ नारी शक्ति केन्द्र चन्द्रेश्वर नगर और देहरादून रोड़ तथा परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों के विद्यार्थियों ने हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी। विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

आज गीता जयंती के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पांच हजार एक सौ साठ वर्ष पूर्व आज ही के दिन मोक्षदा एकादशी के दिव्य अवसर पर भगवान श्री कृष्ण के पावन श्री मुख से श्रीमद् भगवत गीता का दिव्य संगीत पूरे विश्व को मिला। श्रीमद भगवत गीता जीवन जीने की कला का रोडमेप है। इसके दिव्य सूत्रों पर चलकर हम अपने जीवन की दिशा व दशा को बदल सकते हैं। आज हम संकल्प लें कि गीता जी के इन दिव्य तीन श्लोकों प्रथम, मध्य व अन्तिम श्लोकों का प्रतिदिन उच्चारण करेंगे। इन तीनों श्लोकों में दिव्य सार है।

स्वामी जी ने आज 11 बजे परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों, परमार्थ विद्या मन्दिर के विद्यार्थियों व शिक्षकों के साथ गीता जीवन गीत वैश्विक अभियान एक मिनट एक साथ गीता पाठ कर हम एक बनें हम नेक बनें की प्रार्थना की।

स्वामी जी ने कहा कि गीता जी के पावन संदेश जीवन की हर दशा को दिशा देते हैं। गीता जी यह स्वयं को जानने और जीने की यात्रा है। भगवत गीता एक श्रेष्ठ गुरू की तरह हमारी पथ प्रदर्शक है, मार्गदर्शक है, गीता जी माँ की तरह हमारे जीवन में आयी हर विपत्ति का समाधान देती है, गीता जी एक ऐसी सखा है जिसकी शिक्षायें सदा हमारे साथ रहती हैं। भगवत गीता मात्र एक आध्यात्मिक पुस्तक नहीं बल्कि उसमें जीवन का, रिश्तों का, आत्मा और परमात्मा का, सद्भाव और सद्विचारों का ऐसा माधुर्य है जिसका पान करने पर जीवन की सारी कड़वाहट दूर हो जाती है और हमारी पूरी दृष्टि और सृष्टि ही बदल जाती है, गीता जी के संदेशों से जीवन के रंग और जीवन संग का बदल जाता है। जीवन में एक नई आशा, विश्वास और उम्मीद का जन्म होता है। हम हर समय, हर पल एक ऐसी शक्ति अनुभव कर सकते है कि ’’मैं हूँ न’’ मा शुचः।

वार्षिकवोत्सव में आये विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और सभी अतिथियों को स्वामी जी ने जीरो से पांच वर्ष तक के बच्चों का नियमित टीकाकरण करवाने का संदेश देते हुये टीकाकरण के प्रति दूसरों को भी जागरूक करने हेतु प्रेरित किया। स्वामी जी ने सभी को संकल्प कराया कि पांच साल सात बार, छूटे न टीका एक भी बार।

उन्होंने कहा कि गीता हमारे अन्दर के स्वास्थ्य को बनाये रखती है और टीकाकरण से बाहरी स्वास्थ्य मजबूत व स्वस्थ रहता है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि गीता जी के संदेशों को अर्जुन बनकर शरणागत् भाव से सुनने और जीने से जीवन रूपी भवसागर से पार हो जाते हैं। जिस प्रकार अर्जुन अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन गये उसी प्रकार आप भी अपने जीवन में अपना लक्ष्य बनाये और फिर उस लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर जीवन में ऊचाँईयों को प्राप्त कर सकते हैं।

वार्षिकवोत्सव के अवसर पर शिक्षकों को उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार प्रदान किये गये। साथ ही कक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर स्वामी जी ने सभी को हरित उत्सव मनाने का संदेश देते हुये पौधा रोपण हेतु प्रेरित किया।

इस अवसर पर स्वामी जी ने श्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती, स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती के बलिदान दिवस और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री रास बिहारी घोष जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।