Kanwad Yatra Free Health Camp

July 6, 2023

With the blessings of Pujya Swamiji and Pujya Sadhviji  a special Kanwad Yatra Free Health Camp began on 3rd July, on the auspicious occasion of Guru Poornima. This camp is dedicated to the yatris who travel from various places of India to visit the Neelkanth Mahadev Temple in Rishikesh.

Along with this camp, we are working to spread awareness about water, sanitation, hygiene, and the importance of keeping our Ganga clean. We hope this brings change to our community and our society!  We conducted a special awareness session where yatris were asked to write an oath to save water, stop using single use plastic, and plant trees, or anything else to protect the environment and make our mother Earth healthy.


परमार्थ निकेतन कांवड मेला शिविर के माध्यम से निःशुल्क चिकित्सा सुविधायें, जल मन्दिर के माध्यम से स्वच्छ जल की सुविधायें, पपेट शो के माध्यम से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने, तथा पर्यावरण स्वच्छता के प्रति जागरूक होकर संकल्प पत्र भरने वालों को निःशुल्क टी-शर्ट व टोपियाँ वितरित की जा रही है तथा सेल्फी प्वांइट के माध्यम से प्रतिदिन स्वच्छता के संदेश प्रसारित किये जा रहा हैं।

परमार्थ निकेतन के सेवकों द्वारा बाघखाला स्वास्थ्य व स्वच्छता जागरूकता शिविर के माध्यम से कांवडियों से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और अपनी धरा को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिये संकल्प पत्र भरवाये जा रहे हैं। कांवडियाँ संकल्प ले रहे हैं कि ‘‘मैं कचरे को कूड़ेदान में ही डालूंगा। मैं सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करूँगा। अपने व्यवहार में परिवर्तन कर जल बचाने हेतु अहम योगदान प्रदान करूँगा। कांवड यात्रा की याद में कम से कम पांच पौधों का रोपण करूँगा। स्वच्छता का संदेश गली, गाँव, शहर में जन-जन तक फैलाऊँगा, इन संकल्पों के साथ वे अपनी यात्रा पूर्ण कर रहे हैं।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि भारत का इतिहास गौरवशाली एवं स्वर्णिम रहा है। भारत की क्रान्तियाँ भी शान्ति की स्थापना के लिये ही हुई हंै क्योंकि भारत का इतिहास और संस्कृति के मूल में शान्ति ही समाहित है। हमारी संस्कृति से शान्ति के संस्कारों का बोध होता है, जिसके आधार पर हम अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करते हैं। भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशालता ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के पवित्र सूत्र में निहित है। वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात पूरा विश्व ही एक परिवार है, सर्वभूत हिते रताः तथा सर्वे भवन्तु सुखिनः सुखिनः की अवधारणा पर हमारा दृढ़ विश्वास है। आप सब शिवभक्त भगवान शिव की भूमि से यह दिव्य संदेश लेकर जायें, देवभक्ति अपनी-अपनी करें लेकिन देश भक्ति सभी मिलकर करें।

स्वामी जी ने संदेश दिया कि उत्तराखंड भूमि भगवान शिव की भूमि है यह केवल पर्यटन और मनोरंजन का केन्द्र नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिकता, योग, ध्यान और दिव्यता से युक्त है, यहां पर हरियाली और स्वच्छ जल के भण्डार है इसलिये इस भूमि को प्रदूषित न करें व नशा मुक्त रखे।

इस दिव्य क्षेत्र में हरित तीर्थाटन और हरित पर्यटन हो स्वच्छ तीर्थ और हरित तीर्थ हो, नो प्लास्टिक नो पोल्यूशन सिंगल यूज प्लास्टिक पूर्ण रूप से बंद हो, वहीं तीर्थ और मेले सार्थक है जो समाज को नई दिशा देते हैं, यहां से सभी शिवभक्त पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेकर जायें, यहां व्याप्त ऊर्जा और चेतना को लेकर जाये। यहां के दिव्य स्थलों पर गंदगी न करें, क्योंकि गंदगी और बंदगी दोनों साथ-साथ नहीं रह सकते।